Monday 29 January 2018

Bashir Badr ghazal


Bashir Badr ghazal


कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता




Bashir Badr ghazal












जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता


अपना दिल भी टटोल कर देखो फासला बेवजह नही होता


कोई काँटा चुभा नहीं होता दिल अगर फूल सा नहीं होता


गुफ़्तगू उनसे रोज़ होती है मुद्दतों सामना नहीं होता


रात का इंतज़ार कौन करे आज कल दिन में क्या नहीं होता


********************************************************************************************

ख़ुदा हमको ऐसी खुदाई न दे 
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे 


ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे 
अब इतनी ज्यादा सफाई न दे 


हंसो आज इतना कि इस शोर में 
सदा सिसकियों की सुनाई न दे 


अभी तो बदन में लहू है बहुत 
कलम छीन ले रोशनाई न दे 


ख़ुदा ऐसे अहसास का नाम है 
रहे सामने और दिखाई न दे 


No comments:

Post a Comment