हर दौर के लोग है,हर तौर के लोग है,यह जंगल के सन्नाटे कहते हैकितने शोर के लोग है । तरह तरह के जिस्म के लोग है, तरह तरह की किस्म के लोग है, लडते फिरते एक लहू के, जात मे घुले लोग है,जात के ही छंटे लोग है, तरह तरह के जाहिल बेइल्म के लोग है । पत्थर के भगवान है,पत्थर के ही बने लोग है, लोगों की भीड मे,लोगों से ही ठगे लोग है । किसपे यकीन कीजिये
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