ना जिद हो,ना जोर हो,खुली रहने दो खिडकियाँ, बस शर्त यह है कि, हवाएं ना चोर हो । गीले बाल उसके कभी इस और हो कभी उस और हो, उसका दोष नहीं बारिशों मे हि शराब घुली थी बस तुम संभालती रहो लडखडाते बाल और हम देखते रहें, चलता रहे यह खेल, ना तुम बोर हो,ना हम बोर हों । सोए है सोने दीजिए,ना कोई शोर हो, इंसान मे इंसानियत ही तो सोई है, अब तो सूरज की किरणों मे भी मिलावट है, अंगडाई तक नहीं लेती इंसानियत, चाहे कितनी भोर हो ।
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